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अनुभूति में मुसव्विर रहमान की रचनाएँ-

अंजुमन में-
इक अधूरी सी मुलाकात
कैसा अंधेर है
कौन सा लम्हा था
चमक रही हैं आँखें
जो हर इक बात पर

 

जो हर इक बात पर

जो हर इक बात पर लड़ता बहुत था
बिछड़ते वक़्त वो रोया बहुत था

मेरी साँसें सुनाई दे रही थीं
मेरे कमरे में सन्नाटा बहुत था

मैं अपनी ज़िद में उसको छोड़ आया
वगरना गाँव ने रोका बहुत था

कई लोगों को उससे यूँ भी चिढ़ थी
वो अपने आप पर हँसता बहुत था

'मुसव्विर' ! सर पे सूरज क्यों चढ़ाया
तुझे इक धूप का टुकड़ा बहुत था

१३ जनवरी २०१४

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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