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अनुभूति में मुसव्विर रहमान की रचनाएँ-

अंजुमन में-
इक अधूरी सी मुलाकात
कैसा अंधेर है
कौन सा लम्हा था
चमक रही हैं आँखें
जो हर इक बात पर

 

इक अधूरी सी मुलाकात

इक अधूरी सी मुलाक़ात ने सोने न दिया
रात भर उनके ख़्यालात ने सोने न दिया

बर्क चमकी तो मुझे याद तुम्हारी आई
और उस याद की सौग़ात ने सोने न दिया

रोशनी क्या है? हंसी क्या है? मसर्रत क्या है?
उसको घर भर के सवालात ने सोने न दिया

नींद ने लोरियाँ दे दे के सुलाना चाहा
क्या करूँ गर्दिशे हालात ने सोने न दिया

ज़र्द चेहरा है परेशान हैं ज़ुल्फें उसकी
उसको भी इश्क़ के सदमात ने सोने न दिया

ऐ ‘मुसव्विर' थी हर इक बूँद में आहट उसकी
गीत गाती हुई बरसात ने सोने न दिया

१३ जनवरी २०१४

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