अनुभूति में
मुन्नी शर्मा
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
आज भी है
गूँगों की आवाज
पतझड़ भी लिख
बंदिशों को तोड़कर
शायरी अपना शगल |
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पतझड़ भी लिख
पतझड़ भी लिख, रुत सुहानी भी लिख
ओ पिंजरे के पंछी, गुलामी भी लिख
समन्दर का पानी है खारा तमाम
लहर की मचलती रवानी भी लिख
बहुत जीत के जश्न तूने लिखे
शिकस्तों की बेबस कहानी भी लिख
तारीख़ों में लिखा है शाही गुरूर
हरम में सिसकती जनानी भी लिख
वतन से मुहब्बत जिन्हें इस कदर
मिटी सरहदों पर जवानी भी लिख
पसीने के मोती सजी बालियाँ
किसानों की अपनी ज़बानी भी लिख
बच्चों का डेरा, अलावों का घेरा
झुकी पीठ की बूढ़ी नानी भी लिख
कलम के अदब से अमन की मशाल
जलाए कबीरा की बानी भी लिख।।
९ दिसंबर
२०१३ |