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अनुभूति में मुन्नी शर्मा की रचनाएँ-

अंजुमन में-
आज भी है
गूँगों की आवाज
पतझड़ भी लिख
बंदिशों को तोड़कर
शायरी अपना शगल

 

आज भी है

गुज़रे कल को खोने का ग़म आज भी है
आँसू से ये पलकें पुरनम आज भी हैं

हँसते फूल भरम देते मुस्कानों का
पंखुरियों पर छलकी शबनम आज भी है

किस्म-किस्म के ज़हर नहीं कुछ कर पाए
अंतस् में साँसों की धड़कन आज भी है

आग रही ज़िन्दा चिनगी की सूरत में
थके दीप की किरणें मद्धम आज भी हैं

एक मौत पर ठण्डे हैं चूल्हे सबके
गाँवों में रिश्तों का वन्दन आज भी है

यह नीला आकाश मजूरों का फ़ानूस
चाँद सितारे उसमें चमचम आज भी है

मुश्किल में हर बार दोस्तों ने छोड़ा
घर में बाट देखती बेगम आज भी है

पण्डितजी का लाल बाप को छोड़ चला
पर पड़ौस का बेटा जुम्मन आज भी है

मन बहलाया करते थके खेजड़ों का
खेतों में चिड़ियों का गुंजन आज भी है

जड़ें हरी हैं भले डाली सूख गई
अँखुआते बीजों में सर्जन आज भी है

९ दिसंबर २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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