अनुभूति में
मेघ सिंह मेघ
की रचनाएँ-
मुक्तक में-
सद्भाव के पैगाम
अंजुमन में-
कहीं गरीब
काबिले-विश्वास अब
गहन निद्रा में सखे
जो सत्य नजर आया
हर धरम |
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जो सत्य नजर आया
जो सत्य नजर आया, अवनी पे औ अम्बर में
उसको ही उड़ेला है, छन्दों के समन्दर में
अब मेरे खयालों से, बेहतर है जुटे रहना
अवकाश नहीं लिखना, जीवन के कलेन्डर में
तुम प्रेम नयन खोलो, विस्तार हृदय को दो
कुछ फर्क नहीं यारो, ईश्वर में, पगम्बर में
जो सत्य उपासक हो, सुकरात वही बनना
इक खूनी हविश देखी, हमने तो सिकन्दर में
ईश्वर तो दिलों में है, जो प्रेम की कुटिया है,
भगवान नहीं बैठा, मस्ज़िद में न मन्दिर में
अय “मेघ” सफलता तो, श्रम का ही वरण करती
शृंगार करो श्रम का, दुनिया के स्वयंवर में
१९ अगस्त २०१३ |