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अनुभूति में मदनमोहन शर्मा अरविंद की रचनाएँ

अंजुमन में—
पत्थरों को आइना कैसे कहूँ
पतझड़ को न देना तूल
बड़ी बेजोड़ ये सौग़ात होती
भूख का मतलब
वक्त ने दो ग़म दिए

 

पतझड़ को न देना तूल

जोड़ ले जो वक्त ने दो ग़म दिए।
ये अँधेरे हैं उजालों के लिए।

आस हो या प्यास अपने साथ ले,
आदमी वो क्या कि जो तनहा जिए।

उम्र भर सब से शिकायत ही रही,
अब गुज़ारा कर बिना शिकवा किए।

मस्त आँखों से छलकते जाम पी,
बैठ कर आँसू पिए तो क्या पिए।

आँधियों का रुख बदलने दे ज़रा,
खुद हवा आ कर जलाएगी दिये।

1 जुलाई 2007

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