बड़ी बेजोड़ ये सौग़ात होती
बड़ी बेजोड़ ये सौग़ात होती,
अगर तनहाइयों में बात होती।
तसव्वुर में कहीं घिरतीं घटाएँ,
चमकतीं बिजलियाँ बरसात होती।
सिमटते फासले साँसें महकतीं,
मचलते ख्वाब दिन में रात होती।
उलझ कर चाल में दिल हार जाता,
हुई हर एक शह पर मात होती।
कभी इस चाँद-सा खिल कर दिखाता,
अगर उस चाँद की औकात होती।
1 जुलाई 2007 |