दर्द से दामन
दर्द से दामन खूब भरा है।
जीने का भरपूर मज़ा है।।
ज़ुल्म का परचम ऊँचा क्यों है
ग़र दुनिया का कोई खुदा है।।
कुछ कर लो उतना ही मिलेगा
जो उसने किस्मत में लिखा है।
दुख क्या छू पाएगा उसको
साथ में जिसके माँ की दुआ है।।
रात में चीखा एक मछेरा
चाँद नदी में डूब रहा है।।
जिस पे उसूलों की दौलत है
उसका कद औरों से बड़ा है।।
बेबस होकर जीने वाला
सच पूछो तो रोज़ मरा है।।
9 मई 2007
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