नीर की गठरी
नीर की गठरी में वो फिर आग भर कर आ गए
देखिये आकाश में बादल उभर कर आ गए
तै तो यह था जुल्म के नाखून काटे जाएँगे
लोग नन्हीं तितलियों के पर कतर कर आ गए
जल रहा है दिल हमारा यह बताने के लिए
हम किसी के द्वार पर एक दीप धर कर आ गए
धूप निकली तो हमें उसने भी अंधा कर दिया
कैसे कह दें हम अंधेरों से उबर कर आ गए
घर में आँखों के कोई सीढ़ी न थी फिर भी 'कुँअर'
अश्क जाने कौन-सी सीढ़ी उतर कर आ गए
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