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अनुभूति में कुंवर बेचैन की रचनाएँ—

हाइकु में-
वर्षा हाइकु

गीतों में—
ओ बासंती पवन

दोहों में—
नौ दोहे

अंजुमन में—
अंगुलियाँ थाम के
कफ़न बाँधकर
करो हमको न शर्मिंदा
खुद को नज़र के सामने
दो दिलों के दरमियाँ
दोनो ही पक्ष
धुआँ
नीर की गठरी
प्यासे होंठों से
फिर युधिष्ठिर को पुकारा
बीती नहीं है रात
मत पूछिए

 

दोनों ही पक्ष

दोनों ही पक्ष आए हैं तैयारियों के साथ
हम गरदनों के साथ है वो आरियों के साथ

बोया न कुछ भी ओर फ़सल ढूँढ़ते हैं लोग
कैसा मज़ाक चल रहा है क्यारियों के साथ

तुम ही कहो कि किस तरह उसको चुराऊँ मैं
पानी की एक बूँद है चिनगारियों के साथ

सेहत हमारी ठीक रहे भी तो किस तरह
आते हैं घर हक़ीम भी बीमारियों के साथ

कुछ रोज़ से मैं देख रहा हूँ कि हर सुबह
उठती है एक कराह भी किलकारियों के साथ

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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