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अनुभूति में कुंवर बेचैन की रचनाएँ—

हाइकु में-
वर्षा हाइकु

गीतों में—
ओ बासंती पवन

दोहों में—
नौ दोहे

अंजुमन में—
अंगुलियाँ थाम के
कफ़न बाँधकर
करो हमको न शर्मिंदा
खुद को नज़र के सामने
दो दिलों के दरमियाँ
दोनो ही पक्ष
धुआँ
नीर की गठरी
प्यासे होंठों से
फिर युधिष्ठिर को पुकारा
बीती नहीं है रात
मत पूछिए

 

कफन बाँध कर

कफन बाँध कर अपने सर से
निकले हैं फिर आँसू घर से

राहों में इस्पाती पहिये
गुज़र गए जब तब ऊपर से

अपने साथ चला है जीवन
शव को बाँधे हुए कमर से

लौटी हैं कुछ बंद फ़ाइलें
हम कब लौटे हैं दफ्तर से

नीला बदन हुआ सपनों का
किसके विष के तेज़ असर से

हमने अपने शीशे तोड़े
अपने हाथों के पत्थर से

उगता सूरज सोच रहा है
सुबह उठेगी कब बिस्तर से

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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