अनुभूति में
कुमार
विनोद की रचनाएँ-
अंजुमन में-
अब नहीं लिखता कोई
जिंदगी जैसी भी है
तल्खियाँ सारी
फिर कोई सपना
सिर झुकाकर |
|
जिंदगी जैसी भी है
जिंदगी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं
रोशनी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं
खास इसमें कुछ नहीं पर, भीड़ में सबसे अलग
सादगी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं
है अगर मुश्किल तो हासिल भी खुदा से कम नहीं
बंदगी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं
रोशनी से, हमने माना, इसकी अनबन है, मगर
तीरगी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं
दिल को तड़पाती बहुत है, मान भी जाती कभी
तिश्नगी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं
आप तो फिर आप हैं, हमको कहां अपनी खबर
बेखुदी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं!
१७ दिसंबर २०१२ |