अंजुमनउपहारकाव्य संगमगीतगौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहे पुराने अंक संकलनअभिव्यक्ति कुण्डलियाहाइकुहास्य व्यंग्यक्षणिकाएँदिशांतर

अनुभूति में कुमार विनोद की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अब नहीं लिखता कोई
जिंदगी जैसी भी है
तल्खियाँ सारी
फिर कोई सपना
सिर झुकाकर

 

जिंदगी जैसी भी है

जिंदगी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं
रोशनी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं

खास इसमें कुछ नहीं पर, भीड़ में सबसे अलग
सादगी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं

है अगर मुश्किल तो हासिल भी खुदा से कम नहीं
बंदगी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं

रोशनी से, हमने माना, इसकी अनबन है, मगर
तीरगी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं

दिल को तड़पाती बहुत है, मान भी जाती कभी
तिश्नगी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं

आप तो फिर आप हैं, हमको कहां अपनी खबर
बेखुदी जैसी भी है, हमको शिकायत कुछ नहीं!

१७ दिसंबर २०१२

इस रचना पर अपने विचार लिखें    दूसरों के विचार पढ़ें 

अंजुमनउपहारकाव्य चर्चाकाव्य संगमकिशोर कोनागौरव ग्राम गौरवग्रंथदोहेरचनाएँ भेजें
नई हवा पाठकनामा पुराने अंक संकलन हाइकु हास्य व्यंग्य क्षणिकाएँ दिशांतर समस्यापूर्ति

© सर्वाधिकार सुरक्षित
अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

hit counter