तू ऐसी चीज नहीं
है तू ऐसी चीज नहीं है कि
भुलाये तुझको
जुनूँ की हद से गुजर जाये तो पाये तुझको
तू मेरी हार भी है जीत भी सुलह
भी है
न जाने नाम क्या लेकर के बुलाये तुझको
अभी तो नज्म मुझे तुझको वो
सुनानी है
जो सोच सोच के रह रह के रुलाये तुझको
सादगी
सादगी आँख की किरकिरी हो गयी
छोड़िए बात ही दूसरी हो गयी
उसकी आहट के आरोह अवरोह में
चेतना डुबकियों से बरी हो गयी
नन्दलाला की मुरली की इक तान पर
राधा सुनते हैं कि बावरी हो गयी
मेरी कमियाँ भी अब मुझपे फबने
लगीं
वाकई ये तो जादूगरी हो गयी
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