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अनुभूति में कुमार आशीष की रचनाएँ-

अंजुमन में-
कोई चाह गुनगुनाई है
ज़िन्दगी़ मेरी
तू ऐसी चीज नहीं है
संसार लुटाता है
सादगी

  संसार लुटाता है

संसार लुटाता है मुस्कान के खजाने
इंसान मगर पहले खुद आप को पहचाने

बाहर है वही दुनिया जो तुमने बुनी भीतर
खोजो तो सही आखिर सौ प्यार के बहाने

तुमने जो लगायी थी चुपके से वही खुशबू
फुसला के मुझे लायी किस ठौर किस ठिकाने

भीतर से उमड़ता हूँ पोरों से पिघल करके
खुलते हैं मेरे भीतर दरियाओं के मुहाने

मुरझाये तसव्वुर जब तब जानिये आगे है
तारूफ की धरोहर वरना हैं सब निशाने

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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