संसार लुटाता है
संसार लुटाता है मुस्कान के खजाने
इंसान मगर पहले खुद आप को पहचाने
बाहर है वही दुनिया जो तुमने
बुनी भीतर
खोजो तो सही आखिर सौ प्यार के बहाने
तुमने जो लगायी थी चुपके से वही
खुशबू
फुसला के मुझे लायी किस ठौर किस ठिकाने
भीतर से उमड़ता हूँ पोरों से
पिघल करके
खुलते हैं मेरे भीतर दरियाओं के मुहाने
मुरझाये तसव्वुर जब तब जानिये
आगे है
तारूफ की धरोहर वरना हैं सब निशाने
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