उसकी बातों पे
उसकी बातों पे ध्यान मत देना
हाथ उसके कमान मत देना
पंख जल जाएँ आ के सूरज तक
इतनी ऊँची उड़ान मत देना
जिसपे नादिम हों अपनी संतानें
ऐसा झूठा बयान मत देना
अपनी औक़ात भूल जाऊँ मैं
कोई ऐसा गुमान मत देना
बोल मीठे न बोल पाए दो
या खुदा वो जुबान मत देना!
२६ अक्तूबर २००९ |