अनुभूति में
कृष्ण शलभ की रचनाएँ-
बाल गीतों में-
अमर कहानी
एक किरन
किरन परी
चले हवा
टेसू माँगे
धूप
अंजुमन में-
अगर सूरत बदलनी है
उसकी बातों पे
कहीं से बीज इमली के
चेहरे पर चेहरा
जाने हैं हम
हर तरफ़ घुप्प-सा |
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अमर कहानी
पड़ी चवन्नी तेल में रे, गाँधी
बाबा जेल में
चले देश की ख़ातिर बापू
ले कर लाठी हाथ में
सारा भारत खड़ा हो गया
गांधी जी के साथ में
दिखा दिया कितनी ताक़त है सचमुच सबके मेल में
काट गुलामी की जंजीरें
रच दी अमर कहानी
अंग्रेज़ों के छक्के छूटे
याद आ गई नानी
हारी मलका रानी भैया मजा, आ गया खेल में
छोड़ विदेशी बाना, पहनी
सूत कात कर खादी
तकली नाची ठुम्मक ठुम्मक
बोल-बोल आज़ादी
आधी रात चढ़ गया, भारत आज़ादी की रेल में।
४ जनवरी २०१० |