अनुभूति में
खान हसनैन आकिब की रचनाएँ-
अंजुमन में-
इधर उधर की
एक पत्ता निराशा का
कभी आसां कभी मुश्किल
तेरे नजदीक
बस्तियाँ छोड़ के
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तेरे नजदीक
तेरे नजदीक ही बैठा हूँ मैं
लोग कहते है के तन्हा हूँ मैं
उस के माथे पे शिकन आई है
उसने देखा है के अच्छा हू मैं
कोई क्या कहता है, इस को छोड़ो
फैसला तुम करो, कैसा हूँ मैं
जिन्दगी तेरे बिना कुछ भी नहीं
बस इसी बात को समझा हूँ मैं
सोच कर इश्क नही होता कभी
कल कहा, आज भी कहता हूँ मैं
तुझ को पाने में जो नाकाम
रहूँ
बस यही सोच के डरता हूँ मैं
दिल में एक टीस उठी है
आकिब
अब भी उसको नहीं भूला हूँ मैं
१५ अप्रैल २०१३ |