अनुभूति में
खान हसनैन आकिब की रचनाएँ-
अंजुमन में-
इधर उधर की
एक पत्ता निराशा का
कभी आसां कभी मुश्किल
तेरे नजदीक
बस्तियाँ छोड़ के
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इधर उधर की
इधर उधर की बातें हैं
और फिर लंबी रातें हैं
बरस गईं तो बरस गईं
अष्कों की बरसातें हैं
कौन किसी का होता है
सब कहने की बातें हैं
प्यार, मुहब्बत, इश्क, वफा
दिल की क्या क्या घातें हैं
टीस, कसक, गम, दर्द, फिराक
सब तेरी सौगातें हैं
१५ अप्रैल २०१३ |