अनुभूति में
खान हसनैन आकिब की रचनाएँ-
अंजुमन में-
इधर उधर की
एक पत्ता निराशा का
कभी आसां कभी मुश्किल
तेरे नजदीक
बस्तियाँ छोड़ के
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कभी आसां, कभी
मुश्किल
कभी आसां, कभी मुश्किल मुहब्बत
जमीं ता अर्श, दिल ही दिल मुहब्बत
हमेशा साथ रखती है कनीजें
कभी मुझसे अकेले मिल मुहब्बत
किसी बच्चे की एक मुस्कान बन जा
कभी फूलो के जैसी खिल मुहब्बत
समझते सब इसे अच्छा हैं लेकिन
सुकून- ए- दिल की हैं कातिल मुहब्बत
गुमां उन का, मुहब्बत रास्ता है
यकी मेरा के है मंजिल मुहब्बत
अभी यह फैसला होना है बाकी
है तूफां या के है साहिल मुहब्बत
अकेले मेरे बस की तो नहीं ये
अगर तू है, तो है कामिल मुहब्बत
लुटी आवारगी में अपनी दुनिया
हुई आकिब, मगर हासिल मुहब्बत
१५ अप्रैल २०१३ |