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अनुभूति में खान हसनैन आकिब की रचनाएँ-

अंजुमन में-
इधर उधर की
एक पत्ता निराशा का
कभी आसां कभी मुश्किल
तेरे नजदीक
बस्तियाँ छोड़ के

 

बस्तियाँ छोड़ के

बसतियाँ छोड़ के जाने ये किधर जाते हैं
गुमबदों पर से कबूतर जो गुजर जाते हैं

एक हम है के जो खातिर में नहीं लाते तुझे
जिन्दगी ! तेरे बिना लोग तो मर जाते हैं

इनको खाली ना समझिये के ये मोहलत है मियां
वक्त आने पे घड़े पाप के भर जाते हैं

चाँद चुपके से किसी झील में जैसे उतरे
आप आते ही मेरे दिल में उतर जाते हैं

हम तो जेबो में लिये फिरते हैं कुछ साँपों को
और एक आप जो रस्सी से भी डर जाते हैं

१५ अप्रैल २०१३

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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