अनुभूति में
हाशिम रजा जलालपुरी
की रचनाएँ- अंजुमन में-
गमे विसाल रगों में
जिंदगी कहती है
तलाश करता हूँ
तेरे ख्याल तेरी आरजू
नहीं आता
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नहीं आता
सुखन के खाली सदफ में गुहर नहीं आता
मैं चाहता तो बहुत हूँ मगर नहीं आता
कोई बताये मुझे दूसरा जहाँ है कहाँ
मुझे सितारों से आगे नज़र नहीं आता
मेरा नसीब है बनवास ज़िन्दगी भर का
तो मुझको याद कभी मेरा घर नहीं आता
कटाना पड़ता है सर को हुसैन की सूरत
यों ही सिनाँ की बुलंदी पे सर नहीं आता
मेरे गुनाह की मुझ को सज़ा यों मिलती है
दुआ तो करता हूँ लेकिन असर नहीं आता
मैं एक ऐसा मुसाफिर हूँ ऐ 'रज़ा हाशिम'
कि जिसकी राह में एक भी शजर नहीं आता।
१ जून
२०१६ |