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अनुभूति में हसन सिवानी  की रचनाएँ-

आजकल
इन दिनों
मैं तुझे चाहूँगा
यादों का साया
शम्मे वफ़ा जलाएगा
 

  शम्मे वफ़ा जलाएगा

जो भी शम्मे वफा जलाएगा।
रौशनी में वही नहाएगा।

वक़्त का बादशाह होगा वही,
नेकियों की तरफ़ जो जाएगा।

उसका सहने चमन में होगा मकाँ,
गुलसितानो को जो सजाएगा।

जोड़ कर हाथ माँगने वाला,
दिल की माँगी मुराद पाएगा।

खुद फरेबी है जिसकी फितरत में,
कौम के क्या वह काम आएगा।

जिसके दिल में किसी की है चाहत,
वक़्त पड़ने पे काम आएगा।

चाँद का करता है सफ़र जो 'हसन'
चाँद पर जाके घर बनाएगा।

२ फरवरी २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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