इन दिनों
दुश्वार हो गई है हर इक बात इन
दिनों।
शोलों के दरमियान हैं हालात इन दिनों।।
आँखों में नींद दर्द का बिस्तर
लिए हुए,
आने लगे हैं तोहफे में सौग़ात इन दिनों।
उलझन में घिर के रह गई है मेरी
ज़िंदगी,
होती है खौफ़नाक बहुत रात इन दिनों।
बोसीदा हो ही जाते हैं छप्पर
मकान के,
तकलीफ़ देह होती है बरसात इन दिनों।
आओ 'हसन' मना लें उन्हें हाथ
जोड़कर,
बिगड़ी हुई है उनसे मेरी बात इन दिनों।
२ फरवरी २००९ |