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अनुभूति में हसन सिवानी  की रचनाएँ-

आजकल
इन दिनों
मैं तुझे चाहूँगा
यादों का साया
शम्मे वफ़ा जलाएगा
 

  इन दिनों

दुश्वार हो गई है हर इक बात इन दिनों।
शोलों के दरमियान हैं हालात इन दिनों।।

आँखों में नींद दर्द का बिस्तर लिए हुए,
आने लगे हैं तोहफे में सौग़ात इन दिनों।

उलझन में घिर के रह गई है मेरी ज़िंदगी,
होती है खौफ़नाक बहुत रात इन दिनों।

बोसीदा हो ही जाते हैं छप्पर मकान के,
तकलीफ़ देह होती है बरसात इन दिनों।

आओ 'हसन' मना लें उन्हें हाथ जोड़कर,
बिगड़ी हुई है उनसे मेरी बात इन दिनों।

२ फरवरी २००९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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