अनुभूति में
गुलाब जैन की
रचनाएँ -
अंजुमन में-
इससे पहले
चाहतें थी कभी
मंजिल मिल भी गयी
यहाँ आस्तीनों में
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इस से पहले
इस से पहले कि रात हो जाए
दिन से चंद सवालात हो जाए
फिर चलें यादों के जंगल में
शायद उनसे मुलाक़ात हो जाए
माना कि खफा हो तुम मुझसे
थोड़ी-सी गुफ्तगू बेबात हो जाए
इश्क में और कुछ हासिल ना हुआ
दर्दे-दिल की ही बात हो जाए
क्या हुआ जो एक बार नाकाम रहे
फिर से नयी शुरुआत हो जाए
१ जून २०१७
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