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अनुभूति में दिलशेर दिल की रचनाएँ -

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किस्मत में क्या लिखा है
घोंसला जब भी डाल पर
दुश्मन नहीं कोई
मिलने नहीं वो आए
सस्ता सा व्यापार

 

किस्मत में क्या लिखा है

किस्मत में क्या लिखा है, बतला रहा हूँ मैं!
हाथों में जाम लेके भी प्यासा रहा हूँ मैं!

सच बोलने की ऐसी है आदत पड़ी हुई,
अपने किए की आप सज़ा पा रहा हूँ मैं!

सोचा नही था हमने कि होगा ये एक रोज़,
काँधे पे अपनी लाश लिए जा रहा हूँ मैं!

अश्कों से तर न होती कभी उसकी आस्तीं,
क्यों जख्म अपने दोस्त को दिखला रहा हूँ मैं!

डूबी नहीं है कश्ती, भँवर में कभी मेरी,
लहरों के इजतिराब से तंग आ रहा हूँ मैं!

मिन्नत करूँगा गैर से, ये सोचना न तुम,
खुद्दार 'दिल' है, सबको ये समझा रहा हूँ मैं!

२६ जनवरी २००९

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