आने
वाले
आने वाले आकर लौट गए!
शिकवे गिले मिटाकर लौट गए!
दूर बैठा जलता रहा एक सूरज,
सितारे जगमगाकर लौट गए!
उजालों ने ओढ़ ली है स्याही,
चिराग छटपटा कर लौट गए!
लहू, आँसू और न जाने क्या-क्या?
बादल भी बरसा कर लौट गए!
कैंचियाँ हवाओं की थीं मगर शुक्र
है,
परिंदे 'पर' बचा कर लौट गए!
२६ जनवरी २००९ |