अनुभूति में
डॉ. भावना की रचनाएँ-
नयी रचनाओं
में-
अचेतन और चेतन में
इस ज़मीं से आसमाँ तक
कैसे दिन
नयन से जो आँसू
भाप बनकर
छंदमुक्त
में-
नदी छह कविताएँ
अंजुमन में-
अपने गम को
कबतक यूँ खफा रहोगे
दरख़्तों पे नज़र
पंछियों के शोर
प्यार करके जताना
मुझे घर से निकलना
शहर का
चेहरा
यह जो हँसता गुलाब है
हम छालों को कहाँ गिनते हैं
हवा तो हल्की
आने दो |
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कैसे दिन
कैसे दिन ये कैसी रात
हर पल आँसू की सौगात
भोर के घर क्यों आएगी
चाँद-सितारों की बारात
अंदर-बाहर रिमझिम हो
फिर से हो वैसी बरसात
जलके राख हुआ क़स्बा
कहते हैं-वो छोटी बात
अपने घर में ही तन्हा
मैं थी औ' मेरे जज़्बात
२७ जुलाई २०१५
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