अनुभूति में
भरत तिवारी
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
किस को नज़र करें
जब नकाब-ए-दोस्ती
दौर है तमाशे का
बुद्धू बक्से
सियासत से बच न पायी |
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बुद्धू बक्से
बुद्धू बक्से तू ये झूठ दिखाता रह और
तू भी राजा का है, शागिर्द छुपाता रह और
तूने ही खाब की झलक कल दिखाई थी हमें
अब हुआ रूबरू तो ख्वाब बताता रह और
चोर हाकिम हो तो दरबार ही अड्डा होगा
इल्म ये सबको है, तू राज़ छुपाता रह और
सब समझ कर भी तब नादान बने बैठे थे
अब उसने घाव दिया है, तो दिखाता रह और
जिस नासूर से तेरा सारा जिस्म राख हुआ
तू उसकी आग को बुझने से बचाता रह और
११ फरवरी २०१३ |