सारे जहाँ पर राज
मेरा सारे जहाँ पर राज
मेरा आशकारा हो गया
सोचा भला क्या और हाय क्या ख़ुदारा हो गया
था कल तलक तो बस में मेरे, अब
तुम्हारा हो गया
यह दिल हमारा क्या करें, दुश्मन हमारा हो गया
था मयकदे का संग जब तक, ठोकरों
में ही रहा
बनकर ख़ुदा बुतख़ाने में, सबका सहारा हो गया
हर इक बुलंदी के मुक़ र में है
इक पस्ती लिखी
आया ज़मीं पर एक दिन, चाहे सितारा हो गया
तौफ़े-हरम में फँस गया, छूटा जो
दौरे-जाम से
उफ इक न इक चक्कर में ही गुम दिल हमारा हो गया
समझा सभी को मैंने अपना जब तो
आतिश किसलिए
दुश्मन ज़माना क्यों मेरा, सारा का सारा हो गया
आशकारा - खुल जाना, प्रकट हो
जाना
तौफ़े-हरम - पूजास्थल के चक्कर काटना
९ जुलाई २००६ |