नग़मे हमेशा
नग़में हमेशा प्यार के गाते चले गए
ग़म और खुशी दोनों में मुस्काते चले गए
मालूम है इसके तईं बहरे हुए हैं
सब
हम प्यार के नग़में मगर गाते चले गए
गुल खिल गए चारों तरफ़ गुज़रे
जिधर से हम
यों रास्तों को और महकाते चले गए
हमको समंदर ने अदब से रास्ता
दिया
बेख़ौफ़ जब लहरों पे लहराते चले गए
दिल की लगी 'आतिश' बुझाई है
शराब से
यों आग से हम आग बुझाते चले गए
९ जुलाई २००६ |