अनुभूति में
आर्य हरीश कोशलपुरी
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
क्या पता
जिंदा है पर
नादानों से
पिंजरे में
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जिंदा है पर
ज़िंदा है पर लाश बराबर
वन की सूखी घास बराबर
अंदर है पतझड़ वीराना
चेहरे पर मधुमास बराबर
अच्छा बुरा बता देता है
रहता है जो पास बराबर
सुन्दर दृश्यों का अभिलाषी
यह मन जिसका दास बराबर
अपनों से सम्मान कहाँ है
घर की मूली घास बराबर
१ जुलाई २०१६ |