अनुभूति में
आर्य हरीश कोशलपुरी
की रचनाएँ-
अंजुमन में-
क्या पता
जिंदा है पर
नादानों से
पिंजरे में
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क्या पता
फिर बहारें मन लुभायें क्या पता
बुलबुलें गायें न गायें क्या पता
कब किसे बदनाम करदें मुफ़्त में
ये वतन की अप्सरायें क्या पता
हर बशर हैं मीडिया, कानून-ज़द
कब किसे सूली चढ़ायें क्या पता
अपनी चीज़ों से भी जुड़कर देखिए
ये स्वदेशी हैं दवायें क्या पता
जाने कितनों की गरीबी मिट गई
आप भी गंगा नहायें क्या पता
आज कुछ रह रहके दिल में उठ रहा
छा रही हैं फिर घटायें क्या पता
१ जुलाई २०१६ |