अनुभूति में
अनिता मांडा की रचनाएँ-
छंदमुक्त में-
आजकल
एक इबादल
कितना सुकूँ
सभ्यताएँ
सितारे रिश्ते इंसान
अंजुमन में-
किश्ती निकाल दी
गला के हाड़ अपने
पंख की मौज
लबों पर आ गया
शाम जैसे
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सितारे रिश्ते इंसान
आकाश नहीं रखता
वे नक्षत्र
जिन्होंने खो दी ऊष्मा।
उन्हें डूबना ही होगा
गहन तिमिर में
किसी की संवेदना
नहीं जागेगी
खुद आसमान की भी नहीं
उन डूबते सितारों के लिये
लोग आँखें बन्द कर उनसे
अपनी मन्नत कहेंगे
ऊष्मा है
तभी तक जिन्दा हैं
सितारे
रिश्ते
इंसान!!
१ अक्तूबर २०१६ |