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रंजन गोरखपुरी

रंजन गोरखपुरी के नाम से लिखने वाले अमित रंजन चित्रांशी व्यावसायिक रूप से सिविल इंजिनियर हैं। १७ जनवरी १९८३ को जनमे इस शायर को इनके ख्यालों की रवानगी,  जोशीले और संवेदनशील लेखन से इस भीड़ में बिल्कुल अलग पहचाना जा सकता है।

लखन‌ऊ में अदब के जानकारों से उर्दू अदब, उस्लूब और अरूज़ की बेहद बारीक जानकारियां हासिल की और ये सफ़र आज क्रमश गज़लों और नज़्मों तक पहुँच गया है! अनेक पत्र प उनका चिट्ठा दयारे रंजन नाम से है। अनेक पत्र-पत्रिकाओं और जलस्थलों पर उनकी रचनाएँ प्रकाशित होती रही हैं।

संपर्क- amit.chitranshi@gmail.com

 

अनुभूति में रंजन गोरखपुरी की रचनाएँ-

अंजुमन में-
अधूरी नज्म की तहरीर
कुछ ख्वाहिशों को
कुछ निशां रह गए
बात करता हूँ

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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