अनुभूति में अमित
खरे की
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संबन्ध
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संबन्ध
पता नहीं ये कब से बन गया
ठीक-ठीक, पल-छिन कुछ याद नहीं
कोशिश करें तो भी कुछ याद नहीं आता
फिर कभी लगता है
शायद ये हमेशा से ही था
हमारे बीच।
शायद पिछले जन्म से
या उससे भी पहले से
शायद आदम के समय से
या उससे भी पहले से
कुछ याद नहीं
पर कुछ विश्वास सा हो चला है
कि यों ही रहेगा ये
अनन्त तक।
भविष्य में भी
मिल ही जायेंगे, हम, हर जन्म में
इसी तरह हमेशा
शायद...
१ जुलाई २०२२ |