अनुभूति में अमित
खरे की
रचनाएँ- छंदमुक्त में-
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गांधारी
प्यार
विषकन्या
संबन्ध
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प्यार
एक दिन योंही, खेल खेल में
उसने मेरी हथेली पर लिख दिया था
'प्यार'।
और फिर कई दिनों तक
मैंने वुज़ू नहीं किया
मासूम था मैं
नहीं जानता था
कि नहीं लिखा खुदा ने जो लकीरों में
उसे कब तक रख सकता है कोई
हथेलियों में
अब समझ गया हूँ
और रख लिया है, इसे दुआओं में
महफूज़ है यह जगह
१ जुलाई २०२२
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