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२९. १२. २००८

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सादर नमन

  भोर की
पहली किरन
आ तुझे सादर नमन।

यह संदेशा है कि,
मैं, अपने हिये की खोल दूँ
है चिरंतन और शाश्‍वत
जय उसी की बोल दूँ।

झर चले अरविंद,
अपनों से बिछुड़ने की प्रथा है।
दरस को
तरसे नयन
आ तुझे सादर नमन।

तितलियाँ हैं संचरित,
बह रहा सुरभित पवन
फिर भला आतंक क्‍यों
हो मेरा दीपित गगन

मंगला, तेरे ही संबल से बनी
जीवन-कथा है
परस मैं
तुझ को सुमन
आ तुझे सादर नमन।

- क्षेत्रपाल शर्मा

नव वर्ष अभिनंदन
इस अंक के साथ अनुभूति नवें वर्ष में प्रवेश कर रही है। टीम अनुभूति की ओर से पाठकों का अभिनंदन और नव वर्ष की शुभ कामनाएँ

इस सप्ताह

नववर्ष की नई रचनाओं में-

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यश मालवीय

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इंदुकांत शुक्ल

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वीरेंद्र जैन

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क्षेत्रपाल शर्मा

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महेंद्र भटनागर

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यतींद्रनाथ राही

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रामेश्वर दयाल कांबोज हिमांशु

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प्राण शर्मा

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द्विजेंद्र द्विज

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सतपाल ख़याल

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डॉ. भावना कुंअर

संकलन में-
नए साल की १६० सुंदर रचनाएँ

पिछले सप्ताह
२ दिसंबर २००८ के अंक में

गौरवग्राम में-
केदारनाथ अग्रवाल

1
अंजुमन में-
सर्वेश कुमार 'सर्वेश' चन्दौसवी

1
पुनर्पाठ में-
सुभद्रा कुमारी चौहान
1
दिशांतर में-
सुधा ढ़ींगरा

1
लंबी कविता में-
सुदर्शन रत्नाकर

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इस में प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है।

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प्रकाशन : प्रवीण सक्सेना -|- परियोजना निदेशन : अश्विन गांधी
संपादन¸ कलाशिल्प एवं परिवर्धन : पूर्णिमा वर्मन
-|- सहयोग : दीपिका जोशी
 
३०,००० से अधिक कविताओं का संकलन
   
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