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नव वर्ष अभिनंदन

नए साल में

          छेड़ ऐसी ग़ज़ल इस नए साल में
झूमे मन का कंवल इस नए साल में

कोई ग़मगीन माहौल क्यों हो भला
हर तरफ़ हो चहल इस नए साल में

गिर न पाए कभी है यही आरज़ू
हसरतों का महल इस नए साल में

याद आए सदा कारनामा तेरा
मुश्किलें कर सहल इस नए साल में

नेकियों की तेरी यूँ कमी तो नहीं
हर बदी से निकल इस नए साल में

पहले खुद को बदल कर दिखा हमसफ़र
फिर जग को बदल इस नए साल में

रोज इतना ही काफ़ी है तेरे लिए
मुस्करा पल दो पल इस नए साल में

---प्राण शर्मा
२९ दिसंबर २००८

    

करो भोर का अभिनंदन

मत उदास हो मेरे मन
करो भोर का अभिनन्दन!

काँटों का वन पार किया
बस आगे है चन्दन-वन।
बीती रात, अँधेरा बीता
करते हैं उजियारे वन्दन।
सुखमय हो सबका जीवन!

आँसू पोंछो, हँस देना
धूल झाड़कर चल देना।
उठते –गिरते हर पथिक को
कदम-कदम पर बल देना।
मुस्काएगा यह जीवन।

कलरव गूँजा तरुओं पर
नभ से उतरी भोर-किरन।
जल में ,थल में, रंग भरे
सिन्दूरी हो गया गगन।
दमक उठा हर घर-आँगन।

रामेश्वर काम्बोज ‘हिमांशु’
२९ दिसंबर २००८

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