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थकान

करते करते काम कभी गर तुम थक जाओ
कार्यालय की कुर्सी पर चौड़े हो जाओ

ऐसे सोओ सहकर्मी भी जान न पाएँ
रहे ध्यान आफ़िस में न खर्राटे आएँ

ऐसा हो अभ्यास बैठे बैठे सो जाओ
कुंभकरण को तुम अपना आदर्श बनाओ

जागो तब ही झकझोरे जब कोई हिलाए
पलक झपकते ही निन्नी रानी आ जाए

ऐसे लो जम्हाई कि दूजे भी अलसाएँ
आंख बंद करते तुमको खर्राटे आएँ

अपने पैर पसार के लेओ चादर तान
जीवन की आपाधापी में जब भी लगे थकान

९ सितंबर २००६

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