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                    अनुभूति में 
                    मृदुला जैन की रचनाएँ— 
                    
                    
                    चाह एक 
                    दृष्टि 
                    बिखरती आस्था 
                    लम्हा-लम्हा ज़िंदगी 
                    भारत माता के प्रति 
                    सपने  | 
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 सपने 
पंखों में ढेर से सपने संजोए 
पंछी मन 
उड़ना चाहता है दूर बहुत दूर  
आसमान से भी ऊँचे 
और तान देना चाहता है 
अपने पंखों को चारों दिशाओं में 
आकाश की नीली चादर की तरह। 
मैं जानती हूँ सपने कभी हक़ीक़त नहीं बनते 
तो भी सपने तो सपने हैं 
जिनकी कोई ज़मीन नहीं होती 
और वास्तव में कोई आसमान भी नहीं होता 
फिर भी ढेर सारी खुशियाँ दे जाते हैं 
मेरे उदास मन को 
अकसर। 
09 फरवरी 2007 
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