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 भारत माता के प्रति 
तेरे विजय घोष से माँ! 
गूँजता था विश्व सारा 
आज क्यों असहाय है माँ! 
क्यों शिथिल तेरी भुजाएँ 
वीर सारे सो गए क्या? 
सोये से उनको जगा दूँ 
माँ चाहूँ तुझे वो ही बना दूँ 
तेरे मस्तक की शान थे जो 
सत्यवादी हरिश्चंद्र सरीखे 
आज उपेक्षित से पड़े हैं 
अपने हाथों से उठाकर 
थोड़ा-सा मैं प्यार दे दूँ  
और ज़रा सम्मान दे दूँ 
चाहूँ तुझे वो ही बना दूँ 
सारे जहाँ से तू निराली 
तू मेरी सुंदर है माता 
सुंदर से सुंदरतम बना दूँ 
तेरी चरण रज को हे माता 
विश्व मस्तक पर सजा दूँ 
चाहूँ तुझे वो ही बना दूँ 
तेरे आँचल की छाँव में माँ! 
राम रहीम नानक खेलते थे 
अब कहाँ वो छुप गए हैं 
आवाज़ दे उनको बुला लूँ 
सारी धरा के फूल हे माता 
तेरे श्री चरणों में चढ़ा दूँ 
माँ चाहूँ तुझे वो ही बना दूँ 
09 फरवरी 2007 
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