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 चाह एक 
अब लक्ष्य एक अब राह एक 
ओ! प्राणेश्वर ओ! प्राण धन 
तुझे पा लूँ बस अब 
चाह एक! 
तुझे चाहने वाले हैं अनेक 
पर दृष्टि शून्य है यही एक 
तू अनावृत पूरा हो ना हो 
तू घूँघट पूरा उठा ना उठा 
एक झलक दो झलक 
दिखाता चल 
मतवाला मुझे बनाता चल 
अब लक्ष्य एक अब राह एक 
ओ! प्राणेश्वर ओ! प्राण धन 
तुझे पा लूँ बस अब 
चाह एक! 
है पीने वाले तो अनेक 
पर खाली प्याला यही एक 
तू प्याला पूरा भर ना भर 
एक घूँट दो घूँट पिलाता चल 
मस्ती में मुझे झुमाता चल 
अब लक्ष्य एक अब राह एक 
ओ! प्राणेश्वर ओ! प्राण धन 
तुझे पा लूँ बस अब 
चाह एक! 
बेहोशी देने वाले हैं अनेक 
होश जगाने वाला बस तू ही एक 
भोक्ता भाव हटाता चल 
और दृष्टा मुझे बनाता चल 
क्षण प्रति क्षण जगाता चल 
पाने की राह दिखाता चल 
अब लक्ष्य एक अब राह एक 
ओ! प्राणेश्वर ओ! प्राण धन 
तुझे पा लूँ बस अब 
चाह एक! 
09 फरवरी 2007 
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