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अनुभूति में शशि पुरवार
की रचनाएँ -

माहिया में-
सपनों में रंग भरे

नये गीतों में-
कमसिन साँसें
तिलिस्मी दुनिया
थका थका सा
दफ्तरों से पल
भीड़ का हिस्सा नहीं हूँ
याद की खुशबू
समय छिछोरा

गीतों में-
अब्बा बदले नहीं
कण-कण में बसी है माँ
मनमीत आया है
महक उठी अँगनाई
व्यापार काला

 

 

सपनों में रंग भरे

सपनो में रंग भरे
नैना सजल हुये
जितने भी जतन करे।

पहन रहे हैं गहना
हार बिंदी कंगन
फूल खिले मन, अंगना

छेड़ रही है साली
जीजा घर आये
खुशियों की दीवाली

फिर सजनी ने माँगा
सोने का गहना
साजन बोले ताँगा

संध्या में दीप जलें
खुशियों के पाहून
घर - अँगना ज्योति खिले

यह चंदा मेरा है
मन को अति भाये
तन, रूप चितेरा है

सपनो में रंग भरो
नैना सजल हुये
जितने भी जतन करो।

पहन रहे हैं गहना
हार बिंदी कंगन
फूल खिले मन, अंगना



छेड़ रही है साली
जीजा घर आये
खुशियों की दीवाली
१० 
फिर सजनी ने माँगा
सोने का गहना
साजन बोले ताँगा
११
संध्या में दीप जलें
खुशियों के पाहून
घर - अँगना ज्योति खिले
१२
यह चंदा मेरा है
मन को अति भाये
तन, रूप चितेरा है
१३
बच्चों की शैतानी
माँ बचपन जीती
नयनों झरता पानी

१४
माँ ममता की धारा
पावन ज्योति जले
मिट जाए अँधियारा

१५
मन चंदन सा महके
ममता का आँचल
भोला बचपन चहके

१ फरवरी २०१९

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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