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अनुभूति में शशि पुरवार की रचनाएँ -

नये गीतों में-
कमसिन साँसें
तिलिस्मी दुनिया
थका थका सा
दफ्तरों से पल
भीड़ का हिस्सा नहीं हूँ
याद की खुशबू
समय छिछोरा

गीतों में-
अब्बा बदले नहीं
कण-कण में बसी है माँ
मनमीत आया है
महक उठी अँगनाई
व्यापार काला

 

  मनमीत आया है

हृदय की तरंगो ने गीत गाया है
खुशियों का पैगाम लिए
मनमीत आया है।

जीवन में बह रही
ठंडी हवा
सपनो को पंख मिले
महकी दुआ

मन में उमंगों का
शोर छाया है
भोर की सरगम ने, मधुर
नवगीत गाया है।

भूल गए पल भर में
दुख की निशा
पलकों को मिल गयी
नयी दिशा

सुख का मोती नजर में
झिलमिलाया है
हाँ,रात से ममता भरा
नवनीत पाया है।

तुफानों की कश्ती से
डरना नहीं
सागर की मौजों में
खोना नहीं

पूनों के चाँद ने
मुझे बुलाया है
रोम रोम सुभीतियों में
संगीत आया है।
ह्रदय की तरंगो ने गीत गाया है।

१० मार्च २०१४

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