| इंद्रप्रस्थ के 
                  लोग इंद्रप्रस्थ कीबात करें क्या
 इंद्रप्रस्थ के लोग!
 सिंहासन केआसपास ही
 सुलग रही है आँखें
 जोड़ रहे जो
 भीतर-बाहर
 इंद्रप्रस्थ की साँसें
 राजा का मन हीबहलाते
 इंद्रप्रस्थ के लोग!
 रिश्तों काअवमूल्यन करने की
 मन में हैं ठाने
 अहंकार सिर पर
 चढ़ बैठा
 लगा मंच पर गाने
 आडंबर कीचादर ओढ़े
 ये संन्यासी लोग!
 जाल बिछाएलहर-लहर पर
 खींचे बहती नावें
 घाट-घाट
 करवाए पट्टे
 कब्जेदारी गाएँ
 उसके आगे-पीछे
 नाचें
 मंत्रोच्चारी लोग!
 ८ मार्च २०१० |