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अनुभूति में केदारनाथ अग्रवाल की रचनाएँ-

गीतों में-
आग लगे इस राम-राज में
एक हथौड़े वाला घर में और हुआ!
बैठा हूँ इस केन किनारे

छंदमुक्त में-
आओ बैठो
आदमी की तरह

गई बिजली
घर के बाहर
दुख ने मुझको
पहला पानी
पाँव हैं पाँव
बुलंद है हौसला
बूढ़ा पेड़

वह उदास दिन
हे मेरी तुम

संकलन में-
वसंती हवा- वसंती हवा
ज्योति पर्व- लघुदीप

  आग लगे इस राम-राज में

आग लगे इस राम-राज में
ढ़ोलक मढ़ती है अमीर की
चमड़ी बजती है गरीब की

खून बहा है राम-राज में
आग लगे इस राम-राज में

आग लगे इस राम-राज में
रोटी रूठी, कौर छिना है,
थाली सूनी, अन्न बिना है,

पेट धँसा है राम-राज में
आग लगे इस राम-राज में

२२ दिसंबर २००८

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अनुभूति व्यक्तिगत अभिरुचि की अव्यवसायिक साहित्यिक पत्रिका है। इसमें प्रकाशित सभी रचनाओं के सर्वाधिकार संबंधित लेखकों अथवा प्रकाशकों के पास सुरक्षित हैं। लेखक अथवा प्रकाशक की लिखित स्वीकृति के बिना इनके किसी भी अंश के पुनर्प्रकाशन की अनुमति नहीं है। यह पत्रिका प्रत्येक सोमवार को परिवर्धित होती है

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