| मूर्ख दिवस  करते रहिए फील गुड़ गया चुटकला फैल।देखो मूर्ख बने कौन, आने दो अप्रैल।
 धोखा, झूठ, फरेब से किया हमें हैरान।बोले मूर्ख दिवस है, करता क्या कल्यान।
 बुद्धू मुझे बना दिया, बोले हैं अप्रैल।मैं बोलूँ तो अर्थ है, मार मुझे आ बैल।
 किसी बहाने आपने, किया हमें है याद।मूर्ख बने तो क्या हुआ, आया मीठा स्वाद।
 होली की सद्भावना, मूर्ख दिवस की जान।महामूर्ख हम भी बनें चाहें सब कल्यान।
 करे फर्स्ट अप्रैल को, लोक सभा तकरार।चाहे भला ग़रीब का, धनियों की सरकार।
 पूर्ण वर्ष में एक दिन, कहते हमको फूल।बाकी के दिन बचें जो, करते भूल कबूल।
 मूर्ख दिवस उपनाम दे, बढ़ जाता सम्मान।बीवी बुद्धू कहे तो, होता खुश कल्यान।
 |