| मज़दूर  मई दिवस को भूल कर हुए नशे में चूर।आदत से मजबूर थे मेहनत कश मजदूर।।1।।
 पी शराब मज़दूर ने बेच रही सरकार।करना भला ग़रीब का किसको है दरकार।।2।।
 बच्चे मज़दूरी करें घटे देश की शान।न करें तो कैसे चले उनका घर कल्यान।।3।।
 करे सुबह से शाम तक काम विवश मजदूर।घर-घर बर्तन माँजती उसके दिल की हूर।।4।।
 बीवी हो मज़दूर की वह भी पाए मान।वर्ना कहना ढोंग है भारत देश महान।।5।।
 बन बंधुआ मज़दूर न कहता है कानून।रोटी देता है नहीं कैसे घटे जुनून।।6।।
 हमदर्दी सरकार की बदले सिर्फ़ विधान।शिक्षा दो मज़दूर को हो उसका कल्यान।।7।।
 शिक्षा दो मज़दूर को करता ज़्यादा काम।मालिक को आराम हो उसको भी आराम।।8।।
 आँखें उनकी देख कर जाना समझ जुबान।बच्चे हैं मजदूर के लेकिन हैं इंसान।।9।।
 हम हैं खाना खा चुके चार बार सरकार।होते यदि मजबूर तो खाते कितनी बार।।10।।
 देखें केवल आज को भारत के मज़दूर।पैसा हो यदि गाँठ में नहीं काम मंजूर।।11।।
 मालिक जल कर दूध से सोचे हो मजबूर।मिलते उनको क्यों नहीं दूध धुले मज़दूर।।12।।
 कह दो तू मज़दूर को होता बेआराम।मिस्त्री जी उसको कहो करता दूना काम।।13।।
 किस्मत को सब कोसते दुनिया का दस्तूर।भाग्य बनाते आप खुद मेहनत कश मज़दूर।।14।।
 कुछ हों रानी चींटियाँ कुछ होती हैं दास।सभी बराबर होय तो होता नहीं विकास।।15।।
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