| तुम्हें क्या 
                      याद आया तुमअकारण रो पड़े--
 हमें तो
 टूटा-सा दिल
 अपना याद आया,
 तुम्हें क्या याद आया--
 तुमअकारण रो पड़े--
 बारिश में भीगते
 शरीरों की भीड़ में
 हमें तो
 बचपन
 अपना याद आया,
 तुम्हें क्या याद आया---
 तुमअकारण रो पड़े--
 दोपहर देख
 ढलती उम्र की
 दहलीज़ पर
 हमें तो
 यौवन
 अपना याद आया,
 तुम्हें क्या याद आया--
 तुमअकारण रो पड़े--
 उदास समंदर के किनारे
 सूनी आँखों से
 हमें तो
 अधूरा-सा
 घरौंदा
 अपना याद आया,
 तुम्हें क्या याद आया--
 तुमअकारण रो पड़े--
 धुँधली आँखों से
 सुलगती लकड़ियाँ देख
 हमें तो
 कोई
 अपना याद आया,
 तुम्हें क्या याद आया--
 २२ दिसंबर २००८  |