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अनुभूति में डॉ. सुधा ओम ढींगरा की रचनाएँ-

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छंदमुक्त में-
कभी कभी
तुम्हें क्या याद आया
तेरा मेरा साथ
बदलाव
भ्रम
यह वादा करो

  बेबसी

चाँद से
मुट्ठी भर चाँदनी
उधार ले आई,
हृदय के उन कोनों को
उजागर करने के लिए,
जहाँ भावनाएँ रावण बन
सामाजिक मर्यादायों की
लक्ष्मण - रेखा पार है करना चाहतीं
और मन सीता-सा
इन्कार करता हुआ भी छला जाता है।

३० नवंबर २००९

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